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Sampuran Ved PDF Download
वेद दुनिया के प्रथम धर्मग्रंथ है। इसी के आधार पर दुनिया के अन्य मजहबों की उत्पत्ति हुई जिन्होंने वेदों के ज्ञान को अपने अपने तरीके से भिन्न भिन्न भाषा में प्रचारित किया। वेद ईश्वर द्वारा ऋषियों को सुनाए गए ज्ञान पर आधारित है इसीलिए इसे श्रुति कहा गया है। सामान्य भाषा में वेद का अर्थ होता है ज्ञान। वेद पुरातन ज्ञान विज्ञान का अथाह भंडार है। इसमें मानव की हर समस्या का समाधान है। वेदों में ब्रह्म (ईश्वर), देवता, ब्रह्मांड, ज्योतिष, गणित, रसायन, औषधि, प्रकृति, खगोल, भूगोल, धार्मिक नियम, इतिहास, रीति-रिवाज आदि लगभग सभी विषयों से संबंधित ज्ञान भरा पड़ा है।
शतपथ ब्राह्मण के श्लोक के अनुसार अग्नि, वायु और सूर्य ने तपस्या की और ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद को प्राप्त किया। प्रथम तीन वेदों को अग्नि, वायु, सूर्य (आदित्य), से जाड़ा जाता है और संभवत: अथर्वदेव को अंगिरा से उत्पन्न माना जाता है। एक ग्रंथ के अनुसार ब्रह्माजी के चारों मुख से वेदों की उत्पत्ति हुई।
वेद सबसे प्राचीनतम पुस्तक हैं इसलिए किसी व्यक्ति या स्थान का नाम वेदों पर से रखा जाना स्वाभाविक है। जैसे आज भी रामायण, महाभारत इत्यादि में आए शब्दों से मनुष्यों और स्थान आदि का नामकरण किया जाता है।
Vedo Ka Itihas Jaane
वेद मानव सभ्यता के लगभग सबसे पुराने लिखित दस्तावेज हैं। वेदों की 28 हजार पांडुलिपियाँ भारत में पुणे के ‘भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट’ में रखी हुई हैं। इनमें से ऋग्वेद की 30 पांडुलिपियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिन्हें यूनेस्को ने विरासत सूची में शामिल किया है। यूनेस्को ने ऋग्वेद की 1800 से 1500 ई.पू. की 30 पांडुलिपियों को सांस्कृतिक धरोहरों की सूची में शामिल किया है। उल्लेखनीय है कि यूनेस्को की 158 सूची में भारत की महत्वपूर्ण पांडुलिपियों की सूची 38 है।
वेदो के चार भाग है – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद। there is the 4 parts of vedas – Rigveda, Atharveda, samveda and Yajurveda (ऋग-स्थिति), (यजु-रूपांतरण), (साम-गतिशील) और (अथर्व-जड़)।
ऋक को धर्म, यजुः को मोक्ष, साम को काम, अथर्व को अर्थ भी कहा जाता है। इन्ही के आधार पर धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र, कामशास्त्र और मोक्षशास्त्र की रचना हुई।
1.ऋग्वेद [ Rigved Hindi PDF Download]-
ऋक अर्थात् स्थिति और ज्ञान ऋग्वेद सबसे पहला वेद है जो पद्यात्मक है। इसके 10 मंडल (अध्याय) में 1028 सूक्त है जिसमें 11 हजार मंत्र हैं। इस वेद की 5 शाखाएं हैं – शाकल्प, वास्कल, अश्वलायन, शांखायन, मंडूकायन। इसमें भौगोलिक स्थिति और देवताओं के आवाहन के मंत्रों के साथ बहुत कुछ है। ऋग्वेद की ऋचाओं में देवताओं की प्रार्थना, स्तुतियां और देवलोक में उनकी स्थिति का वर्णन है। इसमें जल चिकित्सा, वायु चिकित्सा, सौर चिकित्सा, मानस चिकित्सा और हवन द्वारा चिकित्सा का आदि की भी जानकारी मिलती है। ऋग्वेद के दसवें मंडल में औषधि सूक्त यानी दवाओं का जिक्र मिलता है। इसमें औषधियों की संख्या 125 के लगभग बताई गई है, जो कि 107 स्थानों पर पाई जाती है। औषधि में सोम का विशेष वर्णन है। ऋग्वेद में च्यवनऋषि को पुनः युवा करने की कथा भी मिलती है।
2.यजुर्वेद [Yajurved in Hindi PDF Download]-
यजुर्वेद का अर्थ : यत् + जु = यजु। यत् का अर्थ होता है गतिशील तथा जु का अर्थ होता है आकाश। इसके अलावा कर्म। श्रेष्ठतम कर्म की प्रेरणा। यजुर्वेद में यज्ञ की विधियां और यज्ञों में प्रयोग किए जाने वाले मंत्र हैं। यज्ञ के अलावा तत्वज्ञान का वर्णन है। यह वेद गद्य मय है। इसमें यज्ञ की असल प्रक्रिया के लिए गद्य मंत्र हैं। इस वेद की दो शाखाएं हैं शुक्ल और कृष्ण। कृष्ण :वैशम्पायन ऋषि का सम्बन्ध कृष्ण से है। कृष्ण की चार शाखाएं हैं।
शुक्ल : याज्ञवल्क्य ऋषि का सम्बन्ध शुक्ल से है। शुक्ल की दो शाखाएं हैं। इसमें 40 अध्याय हैं। यजुर्वेद के एक मंत्र में च्ब्रीहिधान्यों का वर्णन प्राप्त होता है। इसके अलावा, दिव्य वैद्य और कृषि विज्ञान का भी विषय इसमें मौजूद है।
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3 सामवेद [SomVed in Hindi PDF Download]-
साम का अर्थ रूपांतरण और संगीत। सौम्यता और उपासना। इस वेद में ऋग्वेद की ऋचाओं का संगीतमय रूप है। सामवेद गीतात्मक यानी गीत के रूप में है। इस वेद को संगीत शास्त्र का मूल माना जाता है। 1824 मंत्रों के इस वेद में 75 मंत्रों को छोड़कर शेष सब मंत्र ऋग्वेद से ही लिए गए हैं।इसमें सविता, अग्नि और इंद्र देवताओं के बारे में जिक्र मिलता है। इसमें मुख्य रूप से 3 शाखाएं हैं, 75 ऋचाएं हैं।
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4 अथर्वदेव [Atharva Veda Hindi PDF Download]-
अथर्व का अर्थ है कंपन और अथर्व का अर्थ अकंपन। ज्ञान से श्रेष्ठ कर्म करते हुए जो परमात्मा की उपासना में लीन रहता है वही अकंप बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्ष धारण करता है। इस वेद में रहस्यमयी विद्याओं, जड़ी बूटियों, चमत्कार और आयुर्देद आदि का जिक्र है। इसके 20 अध्यायों में 5687 मंत्र है। इसके आठ खण्ड हैं जिनमें भेषज वेद और धातु वेद ये दो नाम मिलते हैं।
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[Atharva Ved part -1 ] [Atharva Ved Part-2 ]
आपका बहुत बहुत धन्यावाद है
Respected sir,
As I have downloaded the Rigveda PDF but it consisted only six lessons. Can you please provide us 7-10 Lessons. We need sampurn Rigveda.
Please do the needful as soon as possible.
यदि आपको 7-10 मिल गए हो तो कृपया मुझे भेजने का कष्ट करें
9756474723
दीपक राजपूत जी अभी हमें 08-10 नहीं मिले है,
और इंटरनेट पर भी 01-07 भाग ही मौजूद है
Mere pass hai 10 va Mandal
क्या मुझे भेज सकते हैं आप?
Kripya muje de
मनोज प्रजापत जी अभी हमें 08-10 नहीं मिले है,
और इंटरनेट पर भी 01-07 भाग ही मौजूद है
मैं आपका बहुत-बहुत आभारी हूँ धन्यवाद आपका
उपलब्ध कराने के लिए धन्यवाद
Wah aati sunder
चिकित्सा संबंधी जानकारी किस वेद मैं मिलेगी मुझे आयुर्वेद के बारे में समस्त जानकारी चाहिए कृपया मार्गदर्शन करावे
अथर्ववेद मे मीलेगा
Every hindi must know the necessity and importance of vedas, It is very helpful to get vedas online, by going through these site I am feeling very happy.
Barahmand sambandhi jankari kis ved me milega
आपके द्वारा उपलब्ध ऋग्वेद में सिर्फ 6 मंडल ही है जबकि ऋग्वेद में 10 मंडल बताये जाते है कृपया पूर्ण ऋग्वेद कहाँ से प्राप्त हो सकती है मार्गदर्शन करें।
अनिल जी अभी पीडीऍफ़ में हमारे पास 6 भाग ही मौजूद है, गूगल पर भी बाकि भाग मौजूद नहीं है. आपको मार्किट में सम्पूर्ण ऋग्वेद की किताब मिल जाएगी।
Shrishti rachana k bare me jankari kis ved me milegi kripya sahayata kare
हमे भी ऋगवेद के सारे मंडल चाहिए। यदि किसी के पास हो तो कृपया कर aashish.soniji1994@gmail.com पर मेल कर दीजीए। आपका धन्यवाद्।
यदि किसी को 7-10 मिल गए हो तो कृपया मुझे Whatsapp par भेजने का कष्ट करें. 8054318630.