Know More About Niranjan Baba who is Niranjan baba where he come and where he go
सूक्ष्म सागर धाम की पस्तुति
गुरु भभूता सिद्ध देश पित्तर जोतराम जी की असीम कृपा से
हरि ॐ निरंजन, अलख निरंजन, हरी ॐ निरंजन।
निरंजन रूप निरंजनी, निरंजन महा सरूप |
निरंजन में समा रहे, अनेको अनेको सरूप ||
सुर देती सरस्वती, गुरु दिलवाए ध्यान |
विधा दे गणपती , मुक्ति दिलवाए भगवान ||
अलख मंत्र Niranjan Baba Alakh Mantra
अलख निरंजन एक रस सतगुरु दिन दयाल |
समर्थ सिर जन हार, जप सरणा गत पर्तिपाल ||
सत्य स्वरूप गाथा -Niranjan baba
अलख निरंजन कलयुग में बहुत से धर्मो के इष्ट गुरु देव है, और स्थूल व सूक्ष्म शरीर के स्वामी भी है। जिनका स्वरूप आकाश वाणी भी कहा गया है। ये दिनों लोको के स्वामी भी है जब जब धरती पर अन्याय, पाप, पर्कोप बढ़ता है तब तब यह अपने अनेको रूप सरूप धारण करके जीवो की रक्षा करता है। इनके तीनो स्वरूप एक ही है। कभी कभी अपने स्वरूप में ध्यान करके जीवो पर असीम कृपा करता है, स्थूल व सूक्ष्म में अपनी लीलाए दिखा कर आलोप हो जाता है और अपने सरूप में धरती पे यति, जती, साधू सावंत सुरमा सरूप में जीवो का कल्याण व पुरुषार्थ करता है।
इनके मन और माया के अनेक सरूप है भगत जनो ने समझाया है की इनकी लटाओ से पीर, ललाट से देह अवतार, मुख मण्डल से शेष अवतार, हाथ व पैर लगाने से करोडो में सुरमा व सावत प्रकट होते है। इनकी लीला संसार में प्रकट होती रहती है यह पंच भोतिक तत्व प्रधान भी है और यह सृष्टी में कुछ हद तक प्रलय करने के स्वामी भी है।
इनके स्वरूप की रचना कोई जिव नहीं कर सकता और ये अपनी चमत्कारी शक्ति नहीं दिखाता, सब कुछ जीवो पर डाल देता है और आलोप हो जाता है। सुर, जन, मुनि, सिद्ध, समाध, साधू अलख निरंजन को ही जपते है। इनके ध्यान के बिना संत जन भी अधूरे है, क्योंकि संतो का पहला पड़ाव निरंजन ही है। और अपनी तीनो गद्दी धरती, पवन, आकाश, में लीन रहता है और संसार में भक्ति, शक्ति का संचार करके जीवो पर असीम कृपा करता है।
निरंजन भक्ति का यह पहला पड़ाव है, सूफी व संत को यह गुरु दीक्षा देकर निरंजन भक्ति का संचार करता करते है। निरंजन देव को त्रिनेत्र भी कहा गया है जिसमे दिव्य ज्योति का प्रकाश होता है। इस प्रकाश को कुंडली चक्र में भी देखा जा सकता है इस चक्र को सहसार चक्र भी कहते है इस चक्र का स्थान मस्तिष्क है यह समस्त प्रकाश के ज्ञान की उत्पत्ति का स्थान है। ज्ञान दाता गुरु ही सत गुरु का निवास स्थान भी है यह स्थान ब्रह्म स्थान, शिखर लोक, अमर लोक, भवर गुफा, शिव लोक स्थान, मुक्ति स्थान, अमृत लोक आदि नामो से विख्यात है।
साधको को जीवन मुक्त अवस्था यही से प्राप्त होती है, और सुरती रूप पनिहारी रात दिन पानी भरती रहती है। जिसमे जिव आत्म ज्ञान को प्राप्त करके आध्यात्मिकता की और जाने लगता है। हमे बाबा निरंजन जी की लीलाओ पर थोडा प्रकाश डाल कर जो जीव कलयुग में अपने पथ से भटक गए है, उन्हें प्रेम सर्धा विश्वास से इस सत्य गाथा व मंत्र, आरती के सेवा भाव को समझाया गया है ताकि जीव भ्रम से निकल कर भगवान की भक्ति, शक्ति प्रेम श्रधा पर विश्वास कर सके जो भगत जन इस गाथा, मंगल आरती, मंत्र जाप करेगा उसको सेवा भक्ति, मोक्ष पथ मिलेगा
निरंजन ज्योत – Niranjan Jyot
बाबा अलख निरंजन का प्रसाद व सेवा जागरण से पहले लगती है
निरंजन बाबा का भोग व सेवा गुरु भभूता सिद्ध देश पित्तर जोतराम जी से आज्ञा लेकर लगाये
- 1 भगवा चादर
- 1 कच्चा नारियल, धुप/5 अगरबती,सेंट/इत्र, 5 लॉन्ग-5 इलायची,
- मेहँदी +7 टिक्की ,रोली 7 टिक्की दरबार में लगानी , बीडी\सिगरेट, फल-केला,सेब,अनार,संतरा
- मीठा पान, पांच पेड़े, 5 इमरती,देसी घी की ज्योत
भोग लगाकर सभी में बाट देना है
पारदर्शी मंत्र –जाप -Niranjan Mantra
उभय दादश मंत्र के जाप जपे कोई जन |
अर्थ विचारे कहे सुने लटे मोक्ष का पथ ||
अविचल मंत्र, अमर मंत्र,अखय मंत्र, अभय मंत्र, राम मंत्र, निजसार मंत्र, संजीवन मंत्र, सविरज मंत्र, सुंदर मंत्र, शिरोमणि मंत्र, आपार मंत्र, निराकार मंत्र, अलख मंत्र, अकल मंत्र, अगात मंत्र, आभार मंत्र, अंनंत मंत्र, राया मंत्र, नूर मंत्र, तेज मंत्र, ज्योति मंत्र, प्रकाश मंत्र, परम मंत्र, पाया मंत्र. दीक्षा गुरु उपदेश नमो निरंजन नमो निरंजन।
पंच परमेश्वर मंगल माही आरती अलख निरंजन
निरंजन आरती Nirnajan Aarti
निराकार तेरी आरती, अनन्त भुवन की राय || टेक
सुर नर सब सेवा करे, ब्रह्मा विष्णु महेश
देव तुम्हारा भेद ना जाने, पार ना जावे शेष || टेक
चन्द सुर आरती करे, नमो निरंजन देव
धरती पवन आकाश आराधे, सर्वि तुम्हारे सेव || टेक
सकल भुवन सेवा करे, मुनिवर सिद्ध समाध
दीन लीन हो रहे संतजन, अविगत के आराध || टेक
जय जय जीवन राम हमारे, भक्ति करे ल्यो लाय
निराकार की आरती करे, गुरु बलि बलि जाय || टेक
आपका छोटा सा सेवक राजकुमार यादव, भिवानी . आपसे अरदास करता है की कोई गलती रह गयी हो तो आपके सुझाव आमंत्रित है संपर्क – 9253111535, 9728660021 (Website – Jotram.com)
Jia dada ki
जय दादा की साहिल कुमार जी